Saturday, 18 June 2016

माँ चुदाई का मेरा तरिका

दोस्तों आज मै अ
पनी सगी माँ की चुदाई की कहानी लेकर आज आपके पास हाजिर हो रहा हु , यह एक मेरे जीवन की सच्ची कहानी है आप को बहुत पसंद आएगी
मेंरा नाम संदीप है और मैं एक शादीशुदा लड़का हु मेरी शादी को एक साल पूरा हो चुका है। मेरी बीवी एक समजदार लड़की है। उसका नाम सपना है । सुहाग रात से ले कर आज तक हमने रोज दो या तिन बार चुदाई की है अब हम एक दूसरे के चुदाई  के आदि हो चुके है ।
अब हम एक दूसरे के बगैर रह नहीं सकते। मेरा शुरू से ही एक प्रॉब्लम रहा है की मेरा लण्ड आम लड़को से बहुत ही बड़ा है।
सब दोस्त मुझे चिड़ाते थे की तेरी बीवी का क्या होगा 
ईतना बड़ा लण्ड कैसे सह पायेगी बेचारी
पर मैं खुशनसीब हु की मुझे इतना बड़ा घोड़े जैसा लण्ड अपने चूत में समा लेने वाली अपनी बीवी मिल गई
शुवाती दिनों में उसे बहुत ही तक्लीब सहनी पड़ी लेकिन धीरे धीरे 15 दिनों में हम लोग सामान्य सेक्स करने में कामयाब हो गए
अब बात निकल ही गई है तो मै अपने लण्ड का साइज़ भी आप को बता दू दोस्तों मेरे लण्ड का साइज़ है 9" लंबा और ३"जाडा बिलकुल घोड़े जैसा सारे दोस्त मुझे घोड़ा ही बोलते थे ये बात सपना भी जान चुकी थी अब वो भी कभी कभी मजाक में अकेला देख घोडा बोल देती थी ।
हर रोज सपना लण्ड को बहुत सारा तेल लगाकर धीरे धीरे अंदर समाती गई।
अबहम एकदम सामान्य तरीके से सेक्स लाइफ एन्जॉय करते है ।
एक दिन मेरे सुसुरजी सपना को लेने मेरे घर आये और सपना प्रेग्नेंट होने के कारण बेड रेस्ट के लिए उनके घर ले जाने की जिद करने लगे
आखीर सपना को 7 वा महीना चल रहा था इसलिए हम जिद ना कर सके मै बिलकुल अकेला हो गया मै अबतक शादी के बाद चोदने का आदी हो चुका था
इसके पहले मैंने सपना के अलावा किसी और को छुवा तक नहीं था।
 धिरे धीरे दिन पे दिन बढते गए 15 दिन हो गए मुझे सपना की बहुत याद सताने लगी मगर क्या करू सपना तो प्रेग्नेंट है अगर ससुराल जाता और कुछ कम जादा हो जाता तो क्या करता
इस ख़याल से ही मै डर जाता और ससुराल जाने का ख़याल छोड़ देता
सपना के जाने के बाद घर में मै और मेरी माँ दोनों ही रहा गए थे
बहुत बड़ा घर है हमारा
इसलिए सपना की कमी महसूस होने लगी थी
मेरी माँ एक धार्मिक किस्म की खानदानी औरत है
पिताजी के गुजरने के बाद वो खुद को अकेले महसूस करती थी उनकी उम्र 45 साल की थी वो गोरी सुन्दर और आकर्षक थी और साथ में सुस्वभावि थी
हमारे घर का खुद का गेराज और वर्कशॉप है जिसे मई खुद संभालता हु इसलिए दिन का टाइम पास हो जाता था। पर रात काटना मुश्किल हो जाता ।
बुरे गंधे ख़याल आ जाते एक दो लड़कियो के पीछे चक्कर लगाने शुरू कर दिए पर कुछ हात नहीं लगा 
हर रोज माँ के हात का खाना खा के अपने कमरे में जा क्र अपना लण्ड हात लेकर मुठ मार लेता 
इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था
इसी बिच मेरा एक दोस्त दो दी के लिए मेरे घर आ गया जो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था मेरी ही उम्र का बिलकुल हम दोनों भाई भाई लगते थे मेरी हाइट 6 फुट और उसकी भी वेट भी अंदाजे 80 किलो बिलकुल एक सामान दीखते थे हम दोनों
उसके आने के बाद माँ ने उसके देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ी 
बिच में एक घटना घडी हमारे घर में जिसे मई कभी नहीं भूल पाया
मेरा दोस्त जिसका नाम विनोद है वो नाहाने गया था पर साथ में टॉवेल ले जाना भूल गया था उसने मुझे आवाज लगाईं पर उस वक्त मई फोन पे बात कर रहा था तो मैंने माँ को इशारा कर के टॉवेल ले जाने को कहा और मै फोन पर बाते करता रहा थोड़ी देर बाद माँ वापस आई तो मैं माँ को देखता ही रह गया माँ का चेहरापुरा लाल हो गया था और वो अपने रूम ने चली गई 
विनोद नाहा कर वापस आ गया और मुज़पर चिल्लाने लगा अबे गधे मैंने टॉवेल लेकर तुजे बुलाया था ना तो तू क्यों नहीं आया माँ को क्यों भेजा ? मैं यार फोन में बिज़ी था क्या करू
अबे गधे माँ ने मुझे पूरा देख लिया है अब मैं क्या करू अब मै तेरे घर नहीं रुख सकता
मै बोला जाने देना यार जो हो गया सो हो गया तू तो दोस्त है मेरा
उसे उस दिन रोख लिया और दूसरे दिन वो भी चला गया मैं फिर बोर होने लगा
खाना खाने के बाद मै अपने रूम में सो रहा था मुझे बाथरूम जाना पडा मै कभी बिच में पेशाब को नहीं उठता पर आज मैं उठ गया
आते समय माँ के रूम में ज़ाककर देखा तो देखता ही रह गया माँ दीवार को सैट के खड़ी थी और विनोद के नाम से अपने शरीर पर हात फेर रही थी मै जान गया की माँ के अंदर आग लगी हुई है
बस अब इसी बात का फायदा उठाने की मैंने ठान ली
मेरे अंदर पहले से ही आग मौजूत थी पर वो माँ के खातिर नहीं थी मैंने माँ को कभी इस नजर से नहीं देखा था और माँ ने मुझे
देखते ही देखते मुज़मे आग भड़कती गई 
मैंने ट्राय करने की सोची की इस खेल में मैं कहा पहुच पाता हूँ।
चुपचाप रूम में आ गया मोबाईल का सिम बदल डाला और पर्सनल नंबर का सिम इंसर्ट किया जो माँ के पास सेव नहीं था
एक मेसेज टाइप किया 
मैं "हेलो कैसी को माजी आप"
माँ का बहुत देर तक जबाब नहीं आया बहुत देर बाद जबाब आया "कोण हो आप और मेरा नंबर आप के पास कैसा आया"
मै "मैं विनोद हु माँ जी मैंने जाते समय ये नंबर सचिन से ले लिया था क्या है न की नहाते वक्त आपने मेरे लिए टॉवेल लाकर दिया उसका धन्यवाद पर आप ने मुझे पूरी तरह से नंगा देख लिया उसके लिए माफ़ी चाहता हूँ"
माँ "कोई बात नहीं बेटा विनोद मैं अब भूल चुकी हु"
मैं "पर मै इस बात को नहीं भूल सकता क्यों की आप के जाने के बाद मैंने अपना पानी आप के नाम से निकाला था"
माँ "तू तो बड़ा चालु निकला विनोद"
मै- नहीं माँ जी आप हो ही इतनी खुपसुरत बिलकुल गुड़िया सी दिखती हो
माँ -- जाने दो न अब विनोद तू मेरे बेटे सामान हो
मैं -- हा वो तो है पर बेटा तो नहीं नहीं हु ना 
         तुम्हारे लिए मैं एक मर्द समान और तुम एक                              जवान औरत
माँ -- नहीं विनोद ऐसा नहीं कहेते सचिन को पता चल गया तो वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा
मैं --अरे उसे कैसा पता चलेगा वो तो एक बार अपनी रूम में चला गया बाद में सबेरे के सिवा उठता भी नहीं है
माँ--तो क्या मतलाब है तुम्हारा
मै -- तुम्हारा घर बहुत बड़ा है मै पूरा देख चुका हु ऊपर की मंजिल की आखरी खोली जिसमे कोई आता जाता नहीं है और बाहर से आने का रास्ता भी बहार से ही है क्यों ना हम उस खोली में सचिन के सोने के बाद एक रात के लिए हमबिस्तर हो जाए ?
माँ- क्या मतलब है तेरा तू होश में तो है ना विनोद ?
मै -- मै तो होश में ही हु मई कल रात 11 बजे ऊपर मंजिल पर पहुच जाऊंगा बस तुम वो रूम का दरवाजा खोल के रख देना मेरी जान
           मैंने अपना पत्ता तो खेल दिया देखना है की डाव कोण ले जाता है
दूसरे दिन मैंने देखा माँ के चहरे पर अलग ही किसम की रौनक दिख रही थी सभी काम नोकर और नोकरानी से कर लेने में व्यस्त थी
मैं सोच रहा था की ऊपर की रूम का दरवाजा जरूर खोलेगी पर वो बंद था मै वर्कशॉप चला गया रात 8 बजे वापस आ गया खाना खाया और 10 बजे सोने चला गया
आधे घंटे बाद मैंने माँ को पहला मेसेज किया
क्या मैं आ जाऊ 
जबाब मिला "नहीं"
मैंने लिखा
"क्या आपने दरवाजा खोल रखा है या नहीं"
तो उसका कोई जबाब नहीं मिला
आखिर मैं सोने ही वाला था तो एक ख़याल आया
क्यों न एक बार जा के देख लु
ऊपर मंजिल पर जाने का एक रास्ता मेरे रूम से भी हैं
मैं ऊपर चला गया ऊपर रौशनी नहीं थी
रूम का दरवाजा खुला था
अंदर एक बेड भी लगा था
मैं चुपचाप जा के बेड पे बैठ गया
माँ का इंतज़ार करने लगा
एक मन करता माँ आएगी
एक मन करता की नहीं आएगी
बहुत देर इंतजार करने के बाद मैंने पहला मेसेज कर दिया
"मैं आ गया हु जान ऊपर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हु आके मेरे गले लग जा"
रिप्लाय "क्यों आये हो तुम मई नहीं आउंगी तुम चले जाओ"
मैंने लिखा "ठीक है जान मै और आधा घंटा तेरा यहापर इंतज़ार करूँगा अगर तुम नहीं आई तो मै 12 बजे यहाँ से निकल जाऊंगा"
अब मेरे पास आधा घंटा बचा था
अँधेरे में अकेला बैठ कर मै क्या करता
पानी पिने के लीये निचे रूम ने आ गया
पानी पिने के बाद सोचा चलो देख ते है माँ क्या करती है
माँ के रूम के खिड़की के पास जा कर होल से देखने लगा तो माँ बेड पर बैठी हुयी थी आखे खुली थी उसे नींद नही आ रही थी समजो रूम में तारे गईं रही थी
उसके समज में उल्ज़न थी की क्या करू और क्या ना करू अपनी बेटे समान लड़का उसे हवस की मांग कर रहा था तो दूसरी तरफ उसका वजूद इस बात को मानने से रोख रहा था
15 मिनिट बाद माँ खड़ी हो गई धीरे अपनी हातो के कंगन और कुछ गहने निकाल के टी पॉय पर रख दिए मई समाज गया माँ पर हवस भारी पड रही है
साडी ऊपर उठाई और अपनी अंडरवेअर निकाल ने लगी जैसे ही साडी ऊपर उठाई मै तो देखता ही रह गया कभी सोचा तक नहीं था की माँ अंदर से इतनी सेक्सी और सुन्दर होगी कोई जवान लड़की भी इतनी सुन्दर नहीं होगी तलपाव से लेके जांघो तक उनकी स्किन बिल्कुल मखन जैसी गोरी और आकर्षक थी लगता था की रात भर उनकी जांघो पु मुह फेरता रहूँ अब अंडरवियर निचे उतारी तो उनकी गांड के दर्शन हो गए वैसा ही मेरा लण्ड का तम्बू बन गया उसके बाद माँ ने अपना ब्लाउस खोला और अंदर की ब्रेशियर निकाली तो माँ के दोनों स्तन आजाद हो गए ब्रेशियर और अंडर्वेअर निकाल के ब्लाउस पहन लिया
अब मुझे यक़ीन हो गया की माँ अब विनोद के लिए तैयार हो चुकी है
अब बस मुझे ऊपरी मंजिल पर जा के माँ का इंतज़ार करना था मै जानता था की मै और विनोद बिलकुल एक दुसरी से मिलते जुलते शरीर के जरूर थे पर हमारी आवाज नहीं मिलती थी
अगर आवाज से माँ ने पहचान लिया तो हम कभी एकदूसरे को मुह नही दिखा पाएंगे तो मैंने जादा न बोलने की सोच लिया
पर एक प्रॉब्लम और था लाइट में पहचान होने की तो मैंने बल्ब ही निकाल लिए
थोड़ी देर बाद मुझे किसी के ऊपर आने की आहट हुई तो मुझे पहचान होने में देरी नहीं लगी
इतने अँधेरे में माँ रास्ता निकलते हुवे कमरे तक पहुच ही गयी
कमरे में पूरा अन्धेरा था
थोड़ी बहुत रौशनी खिड़की से आ रही थी
वो बोली कहा हो तुम विनोद
मै आवाज बदल के बोला
आ गई मेरी जान

माँ कुछ ना बोली बस एक कोने में कड़ी रही
माँ एक शर्मीली किस्म की औरत है मै खुद उसके पास गया पहले मेरे दोनों हात पीछे से हो कर उनके कंधे पर घुमाने लगा दोनों कंधो को सहलाते सहलाते अपने हात माँ के बूब्स पर लेकर गया माँ पानी पानी हो गई माँ ने ब्लाउज़ के अंदर कुछ नहीं पहना था जो था वो पहले से ही उतार के आ गई थी ऐसी मासल छाती तो सपना की भी नहीं थी
मै दोनों हातो से बूब्स दबाने में लग गया और धीरे2 ब्लाउज़ की हुक खोलने लगा जैसे जैसे एक एक हुक खुलता तट तट आवाज आती मुझे एक अलग ही बात अंदर से महसूस होती जा रही थी मेरा हात अब आखरी हुक पर था माँ की साँसे तेज होती जा रही ही आखिर वो भी हुक मैंने खोल ही दी फक करके माँ के बुब्स आजाद हो गए मैंने गप करके दोनों बॉल पकड़ लिए 
हा हा हा आउच ........माँ की मुह से आवाज चलने लगी
इतनाइ में मेरा हात साडी खोलने में लग गया साडी अलग निकाल के मैंने अपनी हातोसे अलग रख दी अब माँ सिर्फ पेटीकोट पे थी जिसके निचे कुछ नहीं था ये मै भलोभाति जानता था मैंने पिटिकोट का नाडा धीरे से खोलने लगा माँ कुछ मदत नहीं कर रही थी इतने में मैंने नाडा खोल दिया फिर भी पिटिकोट निचे नहीं गिरा ये माँ की गांड का कमाल था इसपर से आप लोग अंदाज जरूर लगा सकते हो की क्या लाजबाब फिगर की मलिका होगी वो । मैंने खुद पेटीकोट निचे दाल दिया  तो माँ अपने पैर उठा के वहा से बाजू है गई।
ईतनी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे उतार लिए अब हम दोनों नंगे थे मेरा घोड़े जैसा बड़ा लण्ड बिलकुल लोहे की रॉड जैसा बन गया इसलिए माँ के हात लगने को घबरा रहा था क्यों की माँ को मेरे साइज का अंदाज हो गया तो पहले से ही इनकार कर देने का डर था
अब मै होशारी से काम लेना चाहता था

मै अब पूरी तरहा से वासमान्ध हो चुका था नंगा जा के माँ के पास खड़ा हो गया
माँ से बोला अब रानी मेरी बाहो में आ जाओ तो उसने अनसुना कर दिया मैंने थोड़ा आगे हो कर माँ का हॉट पकड़ लिया और धीरे धीरे नजदीक लेने लगा वो बिना कुछ विरोध किए मेरे छाती को चिपकती चली जा रही थी जैसे ही पूरी तरह भीड़ गई मैंने दोनों बाहे कोल दी अपने दोनों हात माके पीठ पर ले गया उनकी माखन जैसी गोरी गोरी पीठ पर हात फेरते फेरते ऐसा कास लिया की माँ एकदम दोनों पैरो से ऊपर उठ गई क्यों की माँ की हाइट मुज़से काफी कम थी बाहो में लेके माँ इतनी गरम हो गई की माँ से अब रहा नहीं जा रहा था मैंने अपना एक हात माँ के पेट से होते हुए चूत पर ले गया जैसे ही मेरा हात माँ की चूत पर गया मै तो दंग रह गया आज तक इतना पानी शायद ही छोड़ा हो अब मेरी हिम्मत बढ़ गई मैंने एक ऊँगली चूत में अंदर बाहर करने में लगा दी माँ को बहुत अच्छा लगने लगा हम मजे करने में लग गए एक हात माँ के बॉल पर सहला रहा था जोर से दबाया तो उसने हात बिच में रख दिया मैंने वो हात निकाल लिया इस बिच माँ का हात निचे झुकाते हुवे अचानक मेरे तने हुवे लण्ड पर आ गया जैसे ही माँ लण्ड को हात से सहलाने लगी तो माँ की साँसे तेजी से दौडने लगी मै समज गया मेरा लण्ड माँ के मुठी में भी नहीं समा रहा था माँ के मुह से पहली बार शब्द निकला आई ग........ लेकिन वो भी  एक औरत ही तो थी वासना का भुत उसकी सर पे भी सवार था जाने कितने दिनों से लण्ड। नहीं लिया होगा
जादा वक्त ना गवाते मने माँ को छाती में छाती दाल के बेड पर ले गया एक दूसरे की तरफ मुह कर के हम लेते हुवे थे मैंने पूछा क्या नाराज हो रानी वो कुछ न बोली बस इतना कहा बहुत ही बड़ा है ज़रा धीरे से करना विनोद मैंने हां में सर हिला दिया और कहा आप ही एक काम करो ना मै निचे हो जाता हु और तुम ऊपर हो जावो फिर जितना लेना हो उतना ही ले लेना बोली हां ये ठीक रहेगा।
 दोनों नंगे ही थे मत पीठ के बल लेट गया मेरा खड़ा लण्ड माँ के हात में दे दिया दोनों ने खुप सारी थूक लण्ड पे लगा दी अब माँ ऊपर से मेरे लण्ड पर बैठने लगी इतना बड़ा सुपाड़ा माँ की चूत रस से पूरा गीला हो चुका था माँ ने अपना काम शुरू कार दिया वो जोश में तो थी पर इतना बड़ा लण्ड अंदर नहीं घुस पा रहा था वो मेरी माँ थी और जो कुछ भी कर रही थी जी जान से मन लगाके कर रही थी
मई कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता था  आखिर 2" लण्ड माँ की चूत में जाकर फस गया इतने में ही वो सिस्कारिया भरने लग गई मै तो सपना के जाने के बाद से आज तक भूका ही था माँ उतने में ही आगे पीछे करने लगी मै बोला रानी और थोड़ी कोशिश करो ना अब नहीं हो रहा विनोद मई क्या करू
अब मेरे अंदर का आदमी जाग गया अब मेरे साथ माँ नहीं बल्कि एक जवान औरत नजर आने लगी मै उनकी मांसल जांघो पर हात फेर रहा था दोनों हातो को निचे की तरफ ले आया माँ के दोनों पैरो के घुटने बेड पर टिके थे थोड़ी देर मै घुटनो को सहलाता गया और आव देखा ना ताव दोनों घुटनों को ताकत से अलग अलग कर दिए माँ पूरी तरह अपने सारे शरीर का दबाव डालते हुवे निचे आ गई पूरा लौड़ा चूत में समा गया चिल्लाई आई ग.......... वैसे ही मैंने उसे मेरे छाती को चिपका लिया मेरे पास कोई चारा नहीं था छोड़ता तो भाग जाती मैं करू तो क्या करू दोस्तों
अब उसको इस तरहा दबा लिया कोई कपास का गाथोड़ा बांध लिया हो कुछ देर ऐसा ही रखने के बाद एक सेकण्ड में ही माँ को पीठ के बल पटक दिया लण्ड और भी कड़क हो गया फिर से लण्ड चूत पर लगाया और बीना सोचे अंदर डालने लगा उसकी आखो से आंसू निकल आये जैसा ही लण्ड अंदर डाला माँ की मुह से एक ही आवाज आयी   आई ग मर गई...….
अब मैंने माँ के दोनों पैरोको ऊपर उठाके पैरो को पीछे की तरफ मोड़ दिया माँ छटपटाने लगी लेकिन मेरी ताकत के सामने वो क्या कर पाती कमरे अब एक ही आवाज आने लगी अंदर डालते समय खप.... माँ के मुह से आई ग....
 खप्प......
अअई ग.......
खप्प..........
आई ग..........
खप्प.......
आइग........
खप्प...........
आई ग..........
खप्प........
आई ग........ हर जोर का धक्का उसको चीख निकालने को मजबूर कर देता था आखिर में माँ सामान्य हो गई अब उसे चुदाई का आनंद आने लगा
उसकी चूत पानी पानी हो गई थी अब मई अपने अंतिम धक्के लगाने लगा तो वो समाज गई और मुज़से लता की तरह लिपट गई मुज़े धक्के भी नहीं मारने दे रही थी मै समज गया माँ जड़ रही है उनके साथ मई भी ज़द गया
अब हम दोनों थक चुके थे माँ से उठना भी नहीं हो रहा था कैसे तो भो वो उठी और कपडे पहन के चली गई और जाते समय बस ये कह गई की सबेरा होने से पहले ही यहाँ से चले जाना विनोद......
मैंने भी अपने कपडे पहन लिए और अपने रूम में चला गया
अब मेरा रोज का धंदा हो गया माँ को विनोद के नाम से मेसेज करना और जी भर के माँ की चुदाई करना
कुछ महीनो बाद मेरी बीवी भी आ गई पर ये मेरा रोज का खेल बन चुका है।
दो सतो मेरी यह कहानी आप को कैसे लगी उसे  मेरे मेलबॉक्स में बता देना


Friday, 17 June 2016

बीवी की वासना या मजबूरी

This summary is not available. Please click here to view the post.

बहन की चुदाई पहलवान से


हैल्लो दोस्तों, ये कहानी एक ग़रीब लड़की की है। पुष्पा एक ग़रीब घर की लड़की थी, जिसके माँ बाप काम करने वाले थे। पुष्पा के दो बहनें थी। एक का नाम नंदा और दूसरी का नाम ममता था, वो दोनों बहनें दिखने में सुंदर दिखती थी और काफ़ी स्मार्ट भी थी, परंतु पुष्पा दिखने में ज्यादा सुंदर नहीं थी और गली के लड़के भी पुष्पा की तरफ ज्यादा नहीं देखते थे, पुष्पा सबसे छोटी थी। पुष्पा बहुत ही छोटे कद की और दुबली पतली लड़की थी। बेचारी 25 साल की होकर भी 20 साल की लगती थी। उसकी दोनों बहनें स्मार्ट होने के कारण लड़के भी उन्ही की तरफ ज्यादा देखते थे। पुष्पा मन ही मन में अपने आपको कोसती रहती थी।
उनके पड़ोस में एक पहलवान रहता था, जिसका नाम बलदेव था, पुष्पा की दोनों बहनें उससे चुदाई करवाती थी। एक दिन रात के 12 बजे पुष्पा की नींद खुल गई, पुष्पा पेशाब करने के लिए बाहर जाने लगी तो पुष्पा ने देखा कि नंदा और ममता दोनों घर में नहीं थी और इधर उधर देखा तो वो कहीं नज़र नहीं आई। तो पुष्पा को शक हो गया कि दोनों कहीं पास वाले बलदेव से तो नहीं, पुष्पा का शक सही निकला। जैसे ही पुष्पा धीरे-धीरे से अखाड़े की तरफ चलने लगी तो बलदेव पहलवान की और उसकी दोनों बहनों की आवाज तेज़ी से सुनाई दे रही थी, मगर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। ममता की चीखने की आवाज़, आआआआअहहाअ उूऊऊऊउउउ उसके बाद में नंदा की आवाज आई ओही ओहो आआहाआ बहुत अच्छा लग रहा है, मुझे बलदेव और ज़ोर से चोदो मुझे, तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है। तो नंदा बोली अरे धीरे से बोलो वरना पुष्पा जाग जायेगी, तो बलदेव बोला आने दो ना उसे भी, में उसे भी चोद डालूँगा। एक ना एक दिन उसे भी चोदना ही है ना।
ये सुनकर पुष्पा एकदम गर्म हो गयी, आज के पहले पुष्पा ने अपने बारे में किसी से इस तरह की ऐसी बात नहीं सुनी थी और वो सीधी घर में चली गयी और सोने लगी, लेकिन पुष्पा को नींद नहीं आ रही थी। उसको बार-बार उसी बलदेव की बात याद आ रही थी कि कैसा होगा उसका लंड, कैसा दिखता होगा, कैसे लेती होगी दोनों बहनें उसको, वैसे पुष्पा ने लंड के बारे में सुना ज़रूर था और पेशाब करते लड़को का देखा भी था, लेकिन किसी का स्पर्श नहीं किया था। फिर उसने अपने सलवार का नाडा खोला और अपना हाथ वहां ले गयी जहां हर लड़की सेक्स में आकर पहुँच जाती है। पुष्पा ने देखा तो उसकी चूत से इतना पानी निकल चुका था कि आज के पहले कभी नहीं हुआ था, उसकी नींद बिल्कुल गायब हो गयी थी।
फिर उसने अपनी उंगली चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगी और अब उसे मज़ा आने लगा था। वो बार-बार उंगली को आगे पीछे करने से वो झड़ गयी और उसका पानी निकल गया। फिर थोड़ी देर के बाद दोनों बहनें वापस आकर सो गयी तो पुष्पा भी सो गयी थी। दूसरे दिन जब पुष्पा नींद से जागी तो उसे रात के बारे में ख्याल आया तो नहाते समय उसने और एक बार उंगली से नहाते समय पानी निकाल लिया और दोनों बहनों को इस बात का पता तक नहीं लगने दिया और कॉलेज चली गयी, मगर उसे बार-बार बलदेव का ही ख्याल आ रहा था। पुष्पा दुबली पतली और छोटे कद की होने के कारण उसके मन में हमेशा डर सा लगा रहता था तो वो डर भी निकल चुका था, क्योंकि उसे एक चाहने वाला मिल गया था। फिर दिनभर उसे एक ही ख्याल आ रहा था आख़िर उसकी मुलाकात बलदेव से हो ही गयी, बलदेव उसे रास्ते में कॉलेज से वापस आते वक्त मिला तो उसकी धड़कन तेज़ी से दौड़ने लगी। बलदेव ने उससे हाल-चाल पूछा और चला गया। पुष्पा के दिल में बलदेव के बारे में प्यार हो गया था।
फिर कुछ दिन ऐसा ही सिलसिला चलता रहा, पुष्पा रात को चुपचाप अपनी दोनों बहनों की रासलीला सुनती थी और सोते समय अपनी ही उंगली से मुठ मारती थी। एक दिन उसके मामा की शादी के लिए सबको 8 दिन के लिए जाना पड़ा, लेकिन उसी टाईम में पुष्पा की परीक्षा चल रही थी तो पुष्पा नहीं जा रही थी तो उसकी देखभाल के लिए उसकी दादी को रुकना पड़ा। सब लोग चले जाने के बाद पुष्पा और उसकी दादी ही घर में थी। दादी की उम्र ज्यादा होने के कारण दादी रात भर ज्यादा सोती नहीं थी और थोड़ी सी बात पर ही जाग जाती थी, पुष्पा की परीक्षा होने के कारण वो इधर उधर का ख्याल मन में लाना नहीं चाहती थी। रात के 12 बज चुके थे, मगर उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था तो वो उठकर पास वाले बलदेव के अखाड़े की तरफ जाने लगी तो दादी जाग गयी और दादी ने सो जाने के लिए बोला।
दूसरे दिन पुष्पा परीक्षा देकर वापस आ रही थी तो उसके घर के पास ही उसकी मुलाकात बलदेव से हुई, उसने पूछा पेपर कैसा हुआ है तो पुष्पा बोली ठीक हुआ है, वह बोला कि कल कौन सा पेपर है? तो पुष्पा बोली कल अकाउंट का पेपर है। तो इस बात पर बलदेव उसे बोला मेरे अखाड़े में कोई लड़का अकाउंट के फाईनल ईयर के कुछ नोट्स छोड़ गया है तो अगर तुम्हारे किसी काम में आयें तो रात को आकर ले जाना। तो उस पर पुष्पा कुछ नहीं बोली और ठीक है कहकर सीधी अपने घर को निकल गयी, लेकिन जैसे-जैसे रात होने लगी और पुष्पा की धड़कने तेज हो रही थी, लेकिन दादी का भी ख्याल आ रहा था तो अचानक उसकी नज़र दादी की दवाई पर गयी, उसमें नींद की गोलीयां थी। पुष्पा ने दादी को दवाई देते समय नींद की दो गोलीयां पानी में ही मिला दी थी, उसके कारण दादी चुपचाप सो गयी। रात को पुष्पा अगले पेपर की तैयारी कर रही थी तो रात के 12 बज चुके थे तो उसके मन में बलदेव का ख्याल आ गया।
फिर उसे नोट्स के बारे में दिन की बातें भी याद आई, लेकिन बलदेव तो ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं था तो उसको नोट्स के बारे में कैसे पता हो सकता है ये जानते हुए भी पुष्पा अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी और आख़िर उसके कदम अखाड़े की तरफ बढ़ने लगे। फिर रात के 12:30 बज चुके थे और सभी मोहल्ले वाले सो चुके थे। बलदेव भी सो रहा होगा ये सोचकर पुष्पा दरवाजे पर खड़ी रही, उसकी हालत बहुत खराब हो रही थी और पूरी तरह से दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। आख़िर उसने दरवाजे पर जा कर कुण्डी बजा ही दी। बलदेव एक मंजा हुआ खिलाड़ी था उसने कई ऐसी लड़कीयों की चुदाई की थी और दरवाजे की दस्तक सुनते ही उसे समझने को देर नहीं लगी, उसने दरवाजा खोला तो पुष्पा बाहर खड़ी थी। बलदेव ने उसका मन ही मन में खुशी से स्वागत किया। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
बलदेव एक हठा कठा 6 फुट का पहलवान था और पुष्पा बेचारी छोटे कद की लड़की थी। तो बलदेव बोला आ गई पुष्पा तुम, तो पुष्पा ने गर्दन हिला कर हाँ बोली, तो तुम्हें नोट्स चाहिए आओ मेरे साथ और दरवाजा लगा लिया और पुष्पा का हाथ पकड़कर बलदेव उसे ले जाने लगा। सब तरफ अखाड़े का सामान पड़ा था और लाईट की रोशनी भी कम थी, ऐसे में पुष्पा को चलने में दिक्कत हो रही थी। तो बलदेव उसे बोला पुष्पा क्या में तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले जाऊं? तो पुष्पा कुछ नहीं बोली तो वो समझ गया और उसने पुष्पा को गोद में उठा लिया और पुष्पा ने अपनी आँखे बंद कर ली। बलदेव उसे सीधे पीछे वाले खाली रूम में ले गया, वहां पूरी तरह से तैयारी थी। उसने पुष्पा को वहां जाकर खड़ा कर दिया। कमरे में रोशनी बिल्कुल नहीं थी तो पुष्पा बोली ये तुम मुझे कहाँ ले आये हो तो बलदेव बोला यही तो रखे है नोट्स ज़रा ढूँढना होगा और वो दोनों ढूंढने लगे और अंधेरे का फायदा उठाकर बलदेव ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। फिर पुष्पा नोट्स ढूंढते-ढूंढते आख़िरकार बलदेव से टकरा ही गयी जैसे ही वो बलदेव से टकराई वैसे ही बलदेव ने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया, जीवन में पहली बार किसी मर्द का लंड पुष्पा के हाथ में आया था। अब पुष्पा जान गयी थी कि बलदेव के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं है।
फिर बलदेव ने पुष्पा के सलवार का नाडा हल्के हाथों से खोल दिया तो पुष्पा कुछ नहीं बोली और उसका टॉप भी निकाल दिया। जैसे ही पुष्पा नंगी हो गयी तो बलदेव ने उसे गोद में उठा लिया और पुष्पा की चूत में से नदीयाँ बह रही थी, जैसे ही बलदेव ने देखा तो वो बोला अच्छा तो पहले से ही तैयार थी। पुष्पा बेचारी क्या बोलती? चुपचाप खड़ी रही और छोटे कद की होने के कारण उसे नीचे सुला दिया। बलदेव का लंड बहुत ही बड़ा था और पूरी तरह से टाईट हो गया था। फिर उसने लंड पुष्पा के हाथ में थमा दिया तो पुष्पा बोली ये तो बहुत बड़ा है। तो वो बोला जानेमन तुम उसकी फ़िक्र मत करो, इतनी गीली चूत में तुम्हें ज्यादा तकलीफ नहीं होगी। उसने पुष्पा को समझाकर उसके दोनों पैर ऊपर उठा लिए और उसके ऊपर झुक गया। पुष्पा अब पूरी तरह से बलदेव के आगोश में थी।
फिर उसने अपने लंड का सुपाड़ा पुष्पा की चूत पर रखा और एक हाथ उसके मुँह पर रखा और लंड को सीधे पुष्पा की चूत में डाल दिया। पुष्पा की अंदर की सांसे अंदर और बाहर की सांसे बाहर रह गई, आहहा मर गयी में, निकाल लो में मर जाउंगी, लेकिन बलदेव ने उसकी एक ना सुनी और धक्के तेज करता गया। अब पुष्पा भी नॉर्मल हो गयी और बलदेव का साथ देने लगी। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद ही बलदेव शांत हो गया और उस रात खूब चुदाई की और बहुत मजे किए और अब जब भी बलदेव को मौका मिलता है तो वो पुष्पा की खूब चुदाई करता है और मजे देता है ।।
धन्यवाद …